Monday, June 27, 2011

तू धरलास हाथ जेव्हा!

सगळ्याच गोष्टींशी,तेव्हा होतो मी हताश,
तू धरलास हाथ जेव्हा,
                      झाला गुलाबी आकाश!
वाटलं  की जसं,हे जग कवटाळलं मी,
पडला गळ्यात माझ्या,
                      जेव्हा तुझा बाहुपाश!
तू सावरलं मला,तू आवरलं मला,
हो माझी प्रिया सखी तू,
सहन होईना अवकाश!
तू धरलास हाथ जेव्हा,झाला गुलाबी आकाश!

Wednesday, January 12, 2011

मी जेरबंद नाही!

या बेरकी जगाशी,
माझा काहीच संबंध नाही.
मी लहरी उनाड वारा,
मी जेरबंद नाही!
    म्हस्णात गेली नियमं तुमची,
     जाळून टाका रिती!
     ही असली थेरं पाळायला,
      मला उसंत नाही.
              मी लहरी उनाड वारा,
                 मी जेरबंद नाही!
का म्हणून वाकू मी?
का घालू मुजरा?
मी क्षुद्र नाही,
तुम्ही पंत नाही!
        मी लहरी उनाड वारा,
           मी जेरबंद नाही!
करून घ्या पाठीवर,
वार माझ्या आत्ता.
पण उद्या माफ करायला,
मी ही संत नाही!
         मी लहरी उनाड वारा,
               मी जेरबंद नाही!
                         
*      रिशी